Dosto bhot hi dukh ki baat hai ki Dr. Rahat Indori sahab (1950-2020) ab humare beech nahi rahe. Corona ke sath jang me aaj unka nidhan ho gya. Aagar Gajhal isharo ki kala hai toh maan lijiye ki Rahat Indori woh kalakaar the joh is kala ko bakhubi anjaam dete the. Dr. Rahat Indori ki Shayari har lafaz ke sath mohbbat ki nayi shuruaat bhi karti hai, yahi nahi woh apni gazhalo ke zariye vyavastha ko aaina bhi dekhate the. Dr. Rahat Indori Sad Shayari yha padhe or share karna na bhule… Alwida Rahat Sahab
Dr. Rahat Indori Sad Shayari

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगेअब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है, उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश,जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
Dr. Rahat Indori best shayari

बुलाती है मगर जाने का नईं, ये दुनिया है इधर जाने का नईं !
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर, मगर हद से गुजर जाने का नईं !
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
Rahat Indori Sad Shayari
आँख में पानी रखो , होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो , तरकीबें बहुत सारी रखो
ऐसा लगता है लहू में हमको, कलम को भी डुबाना चाहिए थाअब मेरे साथ रह के तंज़ ना कर, तुझे जाना था जाना चाहिए था
मेरा नसीब मेरे हाथ कट गए वर्ना, मैं तेरी माँग में सिंदूर भरने वाला था
ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था, मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें
जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं, जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का, सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं
Rahat Sahab Shayari in Hindi

जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे, अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान, तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे
मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ, सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ
कभी चुपके से चला आऊँ तेरी खिलवत में, और तुझे तेरी निगाहों से बचा कर देखूँ
वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए था, आना न आना मेरी मर्ज़ी है, तुमको तो बुलाना चाहिए था
हमारी ख्वाहिश एक घर की थी, उसे सारा ज़माना चाहिए था, मेरी आँखें कहाँ नाम हुई थीं, समुन्दर को बहाना चाहिए था
सर पर बोझ अँधियारों का है मौला खैर, और सफ़र कोहसारों का है मौला खैर
दुशमन से तो टक्कर ली है सौ-सौ बार, सामना अबके यारों का है मौला खैर
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए, काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
दूर हम कितने दिन से हैं, ये कभी गौर किया, फिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाए
सुला चुकी थी ये दुनिया थपक थपक के मुझे, जगा दिया तेरी पाज़ेब ने खनक के मुझे
कोई बताये के मैं इसका क्या इलाज करूँ, परेशां करता है ये दिल धड़क धड़क के मुझे
Best Shayari of Rahat Indori

जुबा तो खोल, नज़र तो मिला,जवाब तो दे, में कितनी बार लुटा हु, मुझे हिसाब तो दे
तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव, में तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे
हवा खुद अब के हवा के खिलाफ है, जानी, दिए जलाओ के मैदान साफ़ है, जानी
हमे चमकती हुई सर्दियों का खौफ नहीं, हमारे पास पुराना लिहाफ है, जानी
पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैं , ज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं
मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर में , मगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं
गुलाब, ख्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या हैं, में आ गया हु बता इंतज़ाम क्या क्या हैं
फ़क़ीर, शाह, कलंदर, इमाम क्या क्या हैं, तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या हैं
जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं, जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का, सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं
सरहदों पर तनाव हे क्या, ज़रा पता तो करो चुनाव हैं क्या
शहरों में तो बारूदो का मौसम हैं, गाँव चलों अमरूदो का मौसम हैं
Rahat Indori Nafrat Shayari
दोस्ती जब किसी से की जाये, दुश्मनों की भी राय ली जाये|
मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में, अब कहाँ जा के साँस ली जाये|
बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ, ये नदी कैसे पार की जाये|
मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे, आज फिर कोई भूल की जाये|
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं, सब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं
हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे, हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं
बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहीं, इसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं
ये मैकदा है, वो मस्जिद है, वो है बुत-खाना, कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं
हमारे शहर के मंजर न देख पायेंगे, यहाँ के लोग तो आँखों में ख्वाब रखते हैं
जुबा तो खोल, नज़र तो मिला,जवाब तो दे, में कितनी बार लुटा हु, मुझे हिसाब तो दे
तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव, में तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे
Rahat Indori Gzahal
धोका मुझे दिये पे हुआ आफ़ताब का, ज़िक्रे-शराब में भी है नशा शराब का
जी चाहता है बस उसे पढ़ते ही जायें, चेहरा है या वर्क है खुदा की किताब का
सूरजमुखी के फूल से शायद पता चले, मुँह जाने किसने चूम लिया आफ़ताब का
सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे, चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल, मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे
हरेक चहरे को ज़ख़्मों का आइना न कहो, ये ज़िंदगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो
न जाने कौन सी मजबूरियों का क़ैदी हो, वो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो
तमाम शहर ने नेज़ों पे क्यों उछाला मुझे, ये इत्तेफ़ाक़ था तुम इसको हादिसा न कहो
ये और बात के दुशमन हुआ है आज मगर, वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा न कहो
Rahat Indori Love Shayari
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए, जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए, पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं, कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते, सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं
अब जो बाज़ार में रखे हो तो हैरत क्या है, जो भी देखेगा वो पूछेगा की कीमत क्या है
एक ही बर्थ पे दो साये सफर करते रहे, मैंने कल रात यह जाना है कि जन्नत क्या है
Rahat Indori 2 Line Shayari
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ, ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया, ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
जिस जिस ने मुहब्बत में, अपने महबूब को खुदा कर दिया, खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए, उनको जुदा कर दिया.
मेरे दिल से खेल तो रहे हो तुम पर…… जरा सम्भल के…… ये थोडा टूटा हुआ है कहीं तुम्हे ही लग ना जाए…….!!
हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन, अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को….!!
Final Words
Hope you guys like this post-Dr. Rahat Indori Sad Shayari. We fully dedicate this post to Dr. Rahat Indori Sahab in their memory from our bottom of the heart. May his soul rest in peace. Alvida Rahat Indori.
“Amazing write up”✌️
All the best for your future👍